study

रविवार, 31 जुलाई 2016

गुरुवार, 23 जून 2016

Tarak mehta ka ooltah chashmah ke kalakar ki salary

Tapu Get Maximum Amount * Pinku Get Minimum Amount * they work around 25 days a month * they spend 10 to 12 hours per day on sets for shooting Tapu Gets: 9000 Per Day.. That means he monthly earns around: 2,25,000 Next comes Sonu & Chota Sodhi..Gogi They both earn 8000 per day That means both earn: 2,00000 per month..wow not bad at all..!!! Goli Baby earns: 6000 per Day. His Monthly earning go up to: 1, 50, 000 . Pinku gets least, he gets 5000 per day..!!! His total Monthly earning are: 1, 25, 000 Old sonu left the show for her studies...she use to get 8000 per day. Source of this news: 
Tapu Sena Earnings per Day

Jethalal 50k per day (works 25 days a month)
Daya 40k (works 24 days a month)
Babuji 35k ( 21 days )

Taarak Mehta 32k (20-21 days)

Anjali 25k (13-15days )

Iyer 23k (10-13 days)

Babita 30k (16-17 days)

Bhide 30k (18-20days)

Madhavi 25k (14-16days)

Gurucharan Roshan Singh Sodhi 28k (16-18days) wife Roshan 22k (14-15days)

चार मीनार (chaar minar)

चारमीनार  हैदराबाद शहर प्राचीन और आधुनिक समय का अनोखा मिश्रण है जो देखने वालों को 400 वर्ष पुराने भवनों की भव्‍यता के साथ आपस में सटी आधुनिक इमारतों का दर्शन कराता है। यह कुतुब शाही वास्‍तुकला के कुछ उत्‍कृष्‍ट उदाहरणों को प्रदर्शित करता है - जामी मस्जिद, मक्‍का मस्जिद, तौली मस्जिद और बेशक हैदराबाद का प्रभावशाली चिन्‍ह, चार मीनार। चार मीनार 1591 में शहर के अंदर प्‍लेग की समाप्ति की खुशी में मोहम्‍मद कुली कुतुब शाह द्वारा बनवाई गई बृहत वास्‍तुकला का एक नमूना है। शहर की पहचान मानी जाने वाली चार मीनार चार मीनारों से मिलकर बनी एक चौकोर प्रभावशाली इमारत है। इसके मेहराब में हर शाम रोशनी की जाती है जो एक अविस्‍मरणीय दृश्‍य बन जाता है। यह स्‍मारक ग्रेनाइट के मनमोहक चौकोर खम्‍भों से बना है, जो उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम दिशाओं में स्थित चार विशाल आर्च पर निर्मित किया गया है। यह आर्च कमरों के दो तलों और आर्चवे की गेलरी को सहारा देते हैं। चौकोर संरचना के प्रत्‍येक कोने पर एक छोटी मीनार है जो 24 मी. ऊंचाई की है, इस प्रकार यह भवन लगभग 54 मीटर ऊंचा बन जाता है। ये चार मीनारें हैं, जिनके कारण भवन को यह नाम दिया गया है। प्रत्‍येक मीनार कमल की पत्तियों के आधार की संरचना पर खड़ी है, जो कुतुब शाही भवनों में उपयोग किया जाने वाला तत्‍कालीन विशेष मोटिफ है। पहले तल को कुतुब शाही अवधि के दौरान मदरसे के रूप में उपयोग किया जाता था। दूसरे तल पर पश्चिमी दिशा में एक मस्जिद है, जिसका गुम्‍बद सड़क से ही दिखाई देता है, यदि कुछ दूरी पर खड़े होकर देखा जाए। चार मीनार की छत पर जाकर शहर का एक विहंगम दृश्‍य दिखाई देता है, जबकि मीनारों के अंदर अत्‍यधिक भीड़ के कारण कुछ विशेष अतिथियों को भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण, हैदराबाद वृत की अनुमति से यहां जाने दिया जाता है और वे मीनारों के सबसे ऊपरी सिरे पर जाकर हैदराबाद का दृश्‍य देख सकते हैं। वर्ष 1889 पर उपरोक्‍त चारों आर्चवे पर घडियां लगाई गई थीं। चार मीनार के क्षेत्र में टहलते हुए आप इतिहास के अवशेषों को वर्तमान से मिलता हुआ देखकर निरंतर आश्‍चर्य कर सकते हैं। चार मीनार के दक्षिण पूर्व की ओर निज़ामिया यूनानी अस्‍पताल की इमारत स्थित है। पश्चिम में लगभग 50 मीटर की दूरी पर लाड बाजार की दुकानों के बीच एक पुरानी ढहती भूरी दीवार है जो पुराने निज़ाम के जिलाऊ खाना या परेड के मैदान का प्रवेश दर्शाती है। अब इन मैदानों का उपयोग बड़े वाणिज्यिक संकुल के विकास में किया जा रहा है। पुन: बांईं ओर एक सड़क खिलावत कॉम्प्‍लेक्‍स (चौ महाल्‍ला पैलेस) की ओर जाती है। लाड बाजार की सड़क महबूब चौक पर समाप्‍त होती है जहां 19वीं शताब्‍दी के दौरान बनाई गई कोमल सफेद मस्जिद पर उसी अवधि के क्‍लॉक टावर लूम स्थित हैं। चार मीनार हैदराबाद रेलवे स्‍टेशन से लगभग 7 किलो मीटर की दूरी पर है। यह हैदराबाद बस स्‍टेशन से 5 किलो मीटर की दूरी पर है। दोनों शहरों के सभी हिस्‍सों से उत्‍कृष्‍ट निजी परिवहन सुविधा उपलब्‍ध है। ''आर्क डी ट्राइम्‍फ ऑफ द इस्‍ट'' नामक चार मीनार हैदराबाद की पहचान है। शहर जितनी पुरानी ये चार मीनारें इस भवन के साथ पुराने शहर के मध्‍य में हैं और ये कुतुब शाही युग का हॉल मार्क हैं।

Lal kila (लाल किला)

लाल किला युनेस्को विश्व धरोहर स्थल लाल किला विश्व धरोहर सूची में अंकित नाम  देश साँचा:INDIA प्रकार सांस्कृतिक मानदंड ii, iii, iv सन्दर्भ 231 युनेस्को क्षेत्र एशिया-पैसिफिक शिलालेखित इतिहास शिलालेख 2007 (31वां सत्र) यह लेख दिल्ली का लाल किला के बारे में है। आगरा का किला के लिए, लाल किला (बहुविकल्पी) देखें। दिल्ली के किले को लाल - किला भी कहते हैं, क्योंकि यह लाल रंग का है। यह भारत की राजधानी नई दिल्ली से लगी पुरानी दिल्ली शहर में स्थित है। यह युनेस्को विश्व धरोहर स्थल में चयनित है।[1] इतिहास संपादित करें  लाल किले का मुख्य-द्वार, जिसे लाहौर द्वार भी कहते हैं। इसी किले पर भारत का राष्ट्रीय ध्वज स्वतंत्रता के क्षण से शान से फहराता है। लाल किला एवं शाहजहाँनाबाद का शहर, मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वारा ई स 1639 में बनवाया गया था। लाल किले का अभिन्यास फिर से किया गया था, जिससे इसे सलीमगढ़ किले के संग एकीकृत किया जा सके। यह किला एवं महल शाहजहाँनाबाद की मध्यकालीन नगरी का महत्वपूर्ण केन्द्र-बिन्दु रहा है। लालकिले की योजना, व्यवस्था एवं सौन्दर्य मुगल सृजनात्मकता का शिरोबिन्दु है, जो कि शाहजहाँ के काल में अपने चरम उत्कर्ष पर पहुँची। इस किले के निर्माण के बाद कई विकास कार्य स्वयं शाहजहाँ द्वारा किए गए। विकास के कई बड़े पहलू औरंगजे़ब एवं अंतिम मुगल शासकों द्वारा किये गये। सम्पूर्ण विन्यास में कई मूलभूत बदलाव ब्रिटिश काल में 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद किये गये थे। ब्रिटिश काल में यह किला मुख्यतः छावनी रूप में प्रयोग किया गया था। बल्कि स्वतंत्रता के बाद भी इसके कई महत्वपूर्ण भाग सेना के नियंत्रण में 2003 तक रहे। लाल किला मुगल बादशाह शाहजहाँ की नई राजधानी, शाहजहाँनाबाद का महल था। यह दिल्ली शहर की सातवीं मुस्लिम नगरी थी। उसने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली बदला, अपने शासन की प्रतिष्ठा बढ़ाने हेतु, साथ ही अपनी नये-नये निर्माण कराने की महत्वकाँक्षा को नए मौके देने हेतु भी। इसमें उसकी मुख्य रुचि भी थी। यह किला भी ताजमहल की भांति ही यमुना नदी के किनारे पर स्थित है। वही नदी का जल इस किले को घेरकर खाई को भरती थी। इसके पूर्वोत्तरी ओर की दीवार एक पुराने किले से लगी थी, जिसे सलीमगढ़ का किला भी कहते हैं। सलीमगढ़ का किला इस्लाम शाह सूरी ने 1546 में बनवाया था। लालकिले का निर्माण 1638 में आरम्भ होकर 1648 में पूर्ण हुआ। पर कुछ मतों के अनुसार इसे लालकोट का एक पुरातन किला एवं नगरी बताते हैं, जिसे शाहजहाँ ने कब्जा़ करके यह किला बनवाया था। लालकोट हिन्दु राजा पृथ्वीराज चौहान की बारहवीं सदी के अन्तिम दौर में राजधानी थी। 11 मार्च 1783 को, सिखों ने लालकिले में प्रवेश कर दीवान-ए-आम पर कब्जा़ कर लिया। नगर को मुगल वजी़रों ने अपने सिख साथियों का समर्पण कर दिया। यह कार्य करोर सिंहिया मिस्ल के सरदार बघेल सिंह धालीवाल के कमान में हुआ। नाप जोख संपादित करें लालकिला सलीमगढ़ के पूर्वी छोर पर स्थित है। इसको अपना नाम लाल बलुआ पत्थर की प्राचीर एवं दीवार के कारण मिला है। यही इसकी चार दीवारी बनाती है। यह दीवार 1.5 मील (2.5 किमी) लम्बी है और नदी के किनारे से इसकी ऊँचाई 60 फीट (16मी), तथा 110 फीट (35 मी) ऊँची शहर की ओर से है। इसके नाप जोख करने पर ज्ञात हुआ है, कि इसकी योजना एक 82 मी की वर्गाकार ग्रिड (चौखाने) का प्रयोग कर बनाई गई है। लाल किले की योजना पूर्ण रूप से की गई थी और इसके बाद के बदलावों ने भी इसकी योजना के मूलरूप में कोई बदलाव नहीं होने दिया है। 18वीं सदी में कुछ लुटेरों एवं आक्रमणकारियों द्वारा इसके कई भागों को क्षति पहुँचाई गई थी। 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद, किले को ब्रिटिश सेना के मुख्यालय के रूप में प्रयोग किया जाने लगा था। इस सेना ने इसके करीब अस्सी प्रतिशत मण्डपों तथा उद्यानों को नष्ट कर दिया। .[2] इन नष्ट हुए बागों एवं बचे भागों को पुनर्स्थापित करने की योजना सन 1903 में उमैद दानिश द्वारा चलाई गई। इसकी वास्तुकला संपादित करें  प्रांगण की इमारतों का दृश्य लाल किले में उच्चस्तर की कला एवं विभूषक कार्य दृश्य है। यहाँ की कलाकृतियाँ फारसी, यूरोपीय एवं भारतीय कला का संश्लेषण है, जिसका परिणाम विशिष्ट एवं अनुपम शाहजहानी शैली था। यह शैली रंग, अभिव्यंजना एवं रूप में उत्कृष्ट है। लालकिला दिल्ली की एक महत्वपूर्ण इमारत समूह है, जो भारतीय इतिहास एवं उसकी कलाओं को अपने में समेटे हुए है। इसका महत्व समय की सीमाओं से बढ़कर है। यह वास्तुकला सम्बंधी प्रतिभा एवं शक्ति का प्रतीक है। सन 1913में इसे राष्ट्रीय महत्व के स्मारक घोषित होने से पूर्वैसकी उत्तरकालीनता को संरक्षित एवं परिरक्षित करने हेतु प्रयास हुए थे। इसकी दीवारें, काफी सुचिक्कनता से तराशी गईं हैं। ये दीवारें दो मुख्य द्वारों पर खुली हैं ― दिल्ली गेट एवं लाहौर गेट। लाहौर गेट इसका मुख्य प्रवेशद्वार है। इसके अन्दर एक लम्बा बाजार है, चट्टा चौक, जिसकी दीवारें दुकानों से कतारित हैं। इसके बाद एक बडा़ खुला स्थान है, जहाँ यह लम्बी उत्तर-दक्षिण सड़क को काटती है। यही सड़क पहले किले को सैनिक एवं नागरिक महलों के भागों में बांटती थी। इस सड़क का दक्षिणी छोर दिल्ली गेट पर है। नक्करखाना संपादित करें लाहौर गेट से चट्टा चौक तक आने वाली सड़क से लगे खुले मैदान के पूर्वी ओर नक्कारखाना बना है। यह संगीतज्ञों हेतु बने महल का मुख्य द्वार है। दीवान-ए-आम संपादित करें इस गेट के पार एक और खुला मैदान है, जो कि मुलतः दीवाने-ए-आम का प्रांगण हुआ करता था। दीवान-ए-आम। यह जनसाधारण हेतु बना वृहत प्रांगण था। एक अलंकृत सिंहासन का छज्जा दीवान की पूर्वी दीवार के बीचों बीच बना था। यह बादशाह के लिये बना था और सुलेमान के राज सिंहासन की नकल ही था। नहर-ए-बहिश्त संपादित करें राजगद्दी के पीछे की ओर शाही निजी कक्ष स्थापित हैं। इस क्षेत्र में, पूर्वी छोर पर ऊँचे चबूतरों पर बने गुम्बददार इमारतों की कतार है, जिनसे यमुना नदी का किनारा दिखाई पड़ता है। ये मण्डप एक छोटी नहर से जुडे़ हैं, जिसे नहर-ए-बहिश्त कहते हैं, जो सभी कक्षों के मध्य से जाती है। किले के पूर्वोत्तर छोर पर बने शाह बुर्ज पर यमुना से पानी चढा़या जाता है, जहाँ से इस नहर को जल आपूर्ति होती है। इस किले का परिरूप कुरान में वर्णित स्वर्ग या जन्नत के अनुसार बना है। यहाँ लिखी एक आयत कहती है, यदि पृथ्वी पर कहीं जन्नत है, तो वो यहीं है, यहीं है, यहीं है। महल की योजना मूलरूप से इस्लामी रूप में है, परंतु प्रत्येक मण्डप अपने वास्तु घटकों में हिन्दू वास्तुकला को प्रकट करता है। लालकिले का प्रासाद, शाहजहानी शैली का उत्कृष्ट नमूना प्रस्तुत करता है। ज़नाना संपादित करें महल के दो दक्षिणवर्ती प्रासाद महिलाओं हेतु बने हैं, जिन्हें जनाना कहते हैं: मुमताज महल, जो अब संग्रहालय बना हुआ है, एवं रंग महल, जिसमें सुवर्ण मण्डित नक्काशीकृत छतें एवं संगमर्मर सरोवर बने हैं, जिसमें नहर-ए-बहिश्त से जल आता है। खास महल संपादित करें दक्षिण से तीसरा मण्डप है खास महल। इसमें शाही कक्ष बने हैं। इनमें राजसी शयन-कक्ष, प्रार्थना-कक्ष, एक बरामदा और मुसम्मन बुर्ज बने हैं। इस बुर्ज से बादशाह जनता को दर्शन देते थे। दीवान-ए-खास संपादित करें  दीवान-ए-खास, राजसी निजी सभा कक्ष अगला मण्डप है दीवान-ए-खास, जो राजा का मुक्तहस्त से सुसज्जित निजी सभा कक्ष था। यह सचिवीय एवं मंत्रीमण्डल तथा सभासदों से बैठकों के काम आता थाइस म्ण्डप में पीट्रा ड्यूरा से पुष्पीय आकृति से मण्डित स्तंभ बने हैं। इनमें सुवर्ण पर्त भी मढी है, तथा बहुमूल्य रत्न जडे़ हैं। इसकी मूल छत को रोगन की गई काष्ठ निर्मित छत से बदल दिया गया है। इसमें अब रजत पर सुवर्ण मण्डन किया गया है। अगला मण्डप है, हमाम, जो को राजसी स्नानागार था, एवं तुर्की शैली में बना है। इसमें संगमर्मर में मुगल अलंकरण एवं रंगीन पाषाण भी जडे़ हैं। मोती मस्जिद संपादित करें हमाम के पश्चिम में मोती मस्जिद बनी है। यह सन् 1659 में, बाद में बनाई गई थी, जो औरंगजे़ब की निजी मस्जिद थी। यह एक छोटी तीन गुम्बद वाली, तराशे हुए श्वेत संगमर्मर से निर्मित है। इसका मुख्य फलक तीन मेहराबों से युक्त है, एवं आंगन में उतरता है।जहा फुलो का मेला है हयात बख़्श बाग संपादित करें इसके उत्तर में एक वृहत औपचारिक उद्यान है जिसे हयात बख्श बाग कहते हैं। इसका अर्थ है जीवन दायी उद्यान। यह दो कुल्याओं द्वारा द्विभाजित है। एक मण्डप उत्तर दक्षिण कुल्या के दोनों छोरों पर स्थित हैं एवं एक तीसरा बाद में अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर द्वारा 1842 बनवाया गया था। यह दोनों कुल्याओं के मिलन स्थल के केन्द्र में बना है। The master-builders of the Red Fort were Hamid and Ahmad आधुनिक युग में महत्व संपादित करें  रात के विद्युत प्रकाश में जगमगाता लाल किला लाल किला दिल्ली शहर का सर्वाधिक प्रख्यात पर्यटन स्थल है, जो लाखॉ पर्यटकों को प्रतिवर्ष आकर्षित करता है। यह किला वह स्थल भी है, जहाँ से भारत के प्रधान मंत्री स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को देश की जनता को सम्बोधित करते हैं। यह दिल्ली का सबसे बडा़ स्मारक भी है। एक समय था, जब 3000 लोग इस इमारत समूह में रहा करते थे। परंतु 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद]], किले पर ब्रिटिश सेना का कब्जा़ हो गया, एवं कई रिहायशी महल नष्ट कर दिये गये। इसे ब्रिटिश सेना का मुख्यालय भी बनाया गया। इसी संग्राम के एकदम बाद बहादुर शाह जफर पर यहीं मुकदमा भी चला था। यहीं पर नवंबर 1945 में इण्डियन नेशनल आर्मी के तीन अफसरों का कोर्ट मार्शल किया गया था। यह स्वतंत्रता के बाद 1947 में हुआ था। इसके बाद भारतीय सेना ने इस किले का नियंत्रण ले लिया था। बाद में दिसम्बर 2003 में, भारतीय सेना ने इसे भारतीय पर्यटन प्राधिकारियों को सौंप दिया। इस किले पर दिसम्बर 2000 में लश्कर-ए-तोएबा के आतंकवादियों द्वारा हमला भी हुआ था। इसमें दो सैनिक एवं एक नागरिक मृत्यु को प्राप्त हुए। इसे मीडिया द्वारा काश्मीर में भारत - पाकिस्तान शांति प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास बताया गया था।[3][4][5] किला पर्यटन विभाग के अधिकार में संपादित करें 1947 में भारत के आजाद होने पर ब्रिटिश सरकार ने यह परिसर भारतीय सेना के हवाले कर दिया था, तब से यहां सेना का कार्यालय बना हुआ था। २२ दिसम्बर २००३ को भारतीय सेना ने ५६ साल पुराने अपने कार्यालय को हटाकर लाल किला खाली किया और एक समारोह में पर्यटन विभाग को सौंप दिया। इस समारोह में रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस ने कहा कि कि सशस्त्र सेनाओं का इतिहास लाल किले से जुड़ा हुआ है, पर अब हमारे इतिहास और विरासत के एक पहलू को दुनिया को दिखाने का समय है।[6] मुगल शहंशाह शाहजहां ने 1638 में लाल किले के निर्माण के आदेश दिये थे। लगभग इसी समय उसने आगरा में अपनी स्वर्गीय पत्नी की याद में ताजमहल बनवाना शुरू किया था। लाल किले पर 1739 में फारस के बादशाह नादिर शाह ने हमला किया था और वह अपने साथ यहां से स्वर्ण मयूर सिंहासन ले गया था, जो बाद में ईरानी शहंशाहों का प्रतीक बना। 1857 के गदर के बाद ब्रिटिश सेना ने लाल किले पर नियंत्रण कर लिया।

Taj mahal (ताज महल)

ताजमहल का इतिहास आगरा का ताजमहल : खूबसूरती का नायाब हीरा WD|  FILE आगरा का ताजमहल भारत की शान और प्रेम का प्रतीक चिह्न माना जाता है। उत्तरप्रदेश का तीसरा बड़ा जिला आगरा ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। मुगलों का सबसे पसंदीदा शहर होने के कारण ही उन्होंने ‍दिल्ली से पहले आगरा को अपनी राजधानी बनाया। इतिहास के अनुसार इब्राहिम लोदी ने इस शहर को सन् 1504 में बसाया था। जिस समय इस शहर की स्थापना की गई, उस समय किसी ने यह कल्पना नहीं की होगी कि यह शहर पूरे विश्व में अपनी खूबसूरती के लिए परचम लहराएगा। जिसे आज भी दुनिया के सात अजूबों में शुमार किया जाता है। इतिहास : स्थापत्य कला की जीती-जागती तस्वीर आगरा शहर दिल्ली से करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जिसे बनाने के लिए बगदाद से एक कारीगर बुलवाया गया जो पत्थर पर घुमावदार अक्षरों को तराश सकता था। इसी तरह बुखारा शहर, जो मध्य एशिया में स्थित हैं, वहां से जिस कारीगर को बुलवाया गया वह संगमरमर के पत्थर पर फूलों को तराशने में दक्ष था। विराट कद के गुंबदों का निर्माण करने के लिए तुर्की के इस्तम्बुल में रहने वाले दक्ष कारीगर बुलाया गया तथा मिनारों का निर्माण करने के लिए समरकंद से दक्ष कारीगर को बुलवाया गया। इस प्रकार ताजमहल के निर्माण से पूर्व छ: महीनों में कुशल कारीगरों को तराश कर उनमें से 37 दक्ष कारीगर इकट्ठे किए गए, जिनके देखरेख में बीस हजार मजदूरों के साथ कार्य किया गया। इसी प्रकार ताज निर्माण में लगाई गई सामग्री संगमरमर पत्थर राजस्थान के मकराणा से, अन्य कई प्रकार के कीमती पत्थर एवं रत्न बगदाद, अफगानिस्तान, तिब्बत, इजिप्त, रूस, ईरान आदि कई देशों से इकट्‍ठा कर उन्हें भारी कीमतों पर खरीद कर ताजमहल का निर्माण करवाया गया। ई. 1630 में शुरू हुआ इसका निर्माण कार्य करीब 22 वर्षों में पूर्ण हुआ, जिसमें लगभग बीस हजार मजदूरों का योगदान माना जाता है। इसका मुख्य गुंबद 60 फीट ऊंचा और 80 फीट चौड़ा है।  मुगल बादशाह की मुहब्बत और शिद्दत का परिणाम ही है, 'ताजमहल' जिसे खूबसूरती का नायाब हीरा कहा जाता है। गुंबदनुमा इस इमारत को जब आप सिर उठाकर ऊपर देखते हैं तो इसकी नक्काशीदार छतें और दीवारें किसी आश्चर्य से कम नहीं लगतीं। इसका यह इतिहास तो बच्चे-बड़े सभी की जुबान पर है कि मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी दूसरी पत्नी मुमताज महल की याद में ताजमहल का निर्माण करवाया था। यमुना नदी के किनारे सफेद पत्थरों से निर्मित अलौकिक सुंदरता की तस्वीर 'ताजमहल' न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चुका है। प्यार की इस निशानी को देखने के लिए दूर देशों से हजारों सैलानी यहां आते हैं। दूधिया चांदनी में नहा रहे ताजमहल की खूबसूरती को निहारने के बाद आप कितनी भी उपमाएं दें, वह सारी फीकी लगती हैं। आगरा में ताजमहल के अलावा भी कई चीजें देखने लायक हैं :- जैसे- 1. आगरा फोर्ट (रेड फोर्ट)। आगरा फोर्ट यहां के महत्‍वपूर्ण इमारतों में से एक है। इसका निर्माण ई. 1565 में मुगल सम्राट अकबर ने करवाया था। स्थापत्य कला का यह बेजोड़ नमूना लाल पत्थरों से निर्मित हैं। इसमें जहांगीर महल (दीवाने-ए-खास) भी बना है, जो खूबसूरत शी‍शमहल के रूप में प्रचलित है। 2. फतेहपुर सीकरी। आगरा से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित इस स्थान को अकबर ने अपनी राजधानी बनाया था, जो स्थापत्य की बेजोड़ कलाओं से परिपूर्ण है। 3. मेहताब बाग। यमुना नदी की विपरीत दिशा में ताजमहल' के पास ही बना हुआ है मेहताब बाग। कई तरह के फूलों और अनेक पेड़-पौधों से सुसज्जित होने के कारण विदेशी‍ सैला‍नियों को काफी लुभाता है। 4. रामबाग। रामबाग को बाबर ने 1528 ई. में बनवाया था। यह ताजमहल के उत्तरी भाग में ढाई किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसे मुगलों द्वारा निर्मि‍त सबसे पुराने बागों में से एक माना जाता है। 5. जामा मस्जिद। शाहजहां की बेटी जहांआरा बेगम की याद में सन् 1648 ई. में बनाई गई थी यह जामा मस्जिद। बड़ी ही खूबसूरती से इसके गुंबद भी तराशे गए हैं। इतने वर्षों बाद भी इसकी खूबसूरती जस-की-तस बनी हुई है। मुमताज महल और शाहजहां की कब्र ताजमहल के निचले हिस्से में आमने-सामने बनी हुई है। आज भी आगरा शहर देशी-विदेशी सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। खूबसूरत स्थापत्य कला में निर्मित होने की वजह यहां गर्मी हो या ठंड, हर मौसम में पर्यटकों की भीड़ देखी जा सकती है। पर्यटन विभाग की ओर से प्रतिवर्ष 'ताज महोत्सव' का आयोजन किया जाता है।

Statue of liberty

स्टैचू ऑफ़ लिबर्टी  स्टैचू ऑफ लिबर्टी न्यूयॉर्क हार्बर में स्थित एक विशाल मूर्ति है। तांबे की यह मूर्ति 151 फुट लंबी है, लेकिन चौकी और आधारशिला मिला कर यह 305 फुट ऊंची है। 22 मंज़िला इस मूर्ति के ताज तक पहुंचने के लिये 354 घुमावदार सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। अमेरिकन क्रांति के दौरान फ्रान्स और अमेरिका की दोस्ती के प्रतीक के तौर पर तांबे की बनी ये मूर्ति फ्रान्स ने 1886 में अमेरिका को दी थी। 2010 का अनुमान है कि इस मूर्ति को देखने रोज़ाना 12 से 14 हज़ार लोग आते हैं।

बुधवार, 22 जून 2016

New seven wonderful in world (दुनिया के सात नए अजूबे)

2,200 साल पहले यूनानी विद्वानों द्वारा बनाई गई विश्व के सात अजूबों की सूची को 07 जुलाई, 2007 (07-07-07) को दुबारा संशोधित किया गया. चूंकि पुरानी इमारतों में से अधिकांश टूट-फूट चुकी हैं इसलिए इंटरनेट के माध्यम से 1999 से शुरु हुई एक प्रतियोगिता के जरिए इस नई सूची को बनाया गया. 2005 से इसके लिए मतदान शुरु हुए जिसमें दुनियाभर के लोगों ने हिस्सा लिया. दुनिया के नए अजूबे अपने निर्माण और लोगों में लोकप्रियता की वजह से इस मुकाम तक पहुंचे हैं. दुनिया के सात नए अजूबे कुछ इस प्रकार से हैं :
1. क्राइस्ट द रिडीमर (Christ the Redeemer): ब्राजील के रियो डि जनेरियो (Rio de Janeiro, Brazil) में पहाड़ी के ऊपर स्थित 130 फुट ऊंची ‘क्राइस्ट द रिडीमर’ (Christ the Redeemer) अर्थात ‘उद्धार करने वाले ईसा मसीह’ की मूर्ति दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मूर्ति है. यह मूर्ति कंक्रीट और पत्थर से बनाई गई है. यह ईसा मसीह की इस संसार में सबसे बड़ी मूर्ति है. इसका निर्माण 1922 से 1931 के बीच हुआ. यह बहुत ही नवीन है. रात के समय इसका नजारा अद्वितीय होता है.
2. चीन की दीवार (Great Wall of China): चीन ने अपनी सुस्रक्षा के लिए अपनी सभी सीमाओं को एक दीवार से घेर दिया था जिसे चीन की दीवार कहते हैं. यह दीवार 5वीं सदी ईसा पूर्व में बननी चालू हुई थी और 16 वीं सदी तक बनती रही. यह चीन की उत्तरी सीमा पर बनाई गयी थी ताकि मंगोल आक्रमणकारियों को चीन के अंदर आने से रोका जा सके. यह संसार की सबसे लम्बी मानव निर्मित रचना है जो लगभग 4000 मील (6,400 किलोमीटर) तक फैली है. इसकी सबसे ज्यादा ऊंचाई 35 फुट है जो इसे सुरक्षा देती है. यह दीवार इतनी चौड़ी है कि इस पर 5 घुड़सवार या 10 पैदल सैनिक गश्त लगा सकते हैं. आखिर क्या रहस्य है नदी के इस लाल रंग का !!
3. जार्डन का ‘पेट्रा’ (Petra): ऐतिहासिक शहर पेट्रा अपनी विचित्र वास्तुकला के लिए दुनिया के सात अजूबों में शामिल है. यहां तरह तरह की इमारतें है जो लाल बलुआ पत्थर से बनी हैं और सब पर बेहतरीन नक्काशी की गई है. इसमें 138 फुट ऊंचा मंदिर, नहरें, पानी के तालाब तथा खुला स्टेडियम है. ‘पेट्रा’ जॉर्डन के लिए विशेष महत्व रखता है क्यूंकि यह उसकी कमाई का जरिया है. ‘पेट्रा’ पर्यटन के लिहाज से जॉर्डन के लिए सोने के अंडे देने वाली मुर्गी है. क्या आपके सपने में भी आते हैं मरे हुए लोग ?

4. ताजमहल (Tajmahal): दुनिया में प्यार से प्यारा और खूबसूरत एहसास कुछ नहीं होता. प्यार की इसी खूबसूरती को इमारत की शक्ल दी भारत के मुगल बादशाह शाहजहां ने. शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में ताजमहल बनवाया था. यह 1632 में बना और 15 साल में पूरा हुआ. उसने अपने जीवन के अंतिम दिन कैद में से ताजमहल को देखते हुए बिताए थे. यह खूबसूरत गुंबदों वाला महल चारों तरफ बगीचों से घिरा है. क्षितिज पर इसके ताज के आकार के अलावा कुछ नजर नहीं आता और मुगल शिल्पकला का यह सबसे बढ़िया उदाहरण माना जाता है.
5. रोम का कॉलोसियम (Colosseum of Rome) : यह एक विशाल खेल स्टेडियम है. जिसे लगभग 70 सदी में सम्राट वेस्पेसियन (Vespasian) ने बनाना चालू किया था. इसमें 50,000 तक लोग इकट्‌ठे होकर जंगली जानवरों और गुलामों की खूनी लड़ाइयों के खेल देखते थे. इस स्टेडियम में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते थे. इस स्टेडियम की नकल करना आज तक नामुमकिन है. इंजीनियरों के लिए अब तक यह एक पहेली बना हुआ है.
6. माचू पिच्चू (Machu Picchu): 15वीं शताब्दी में सतह से 2430 मीटर ऊपर यानि एक पहाड़ी के ऊपर बने एक शहर में रहना और उस शहर को बनाना अपने आप में अजूबा ही है. दक्षिण अमरीका में एंडीज पर्वतों के बीच बसा ‘माचू पिच्चू शहर’ पुरानी इंका सभ्यता का सबसे बड़ा उदाहरण है. माना जाता है कि कभी यह नगरी संपन्न थी पर स्पेन के आक्रमणकारी अपने साथ चेचक जैसी बीमारी यहां ले आए जिससे यह शहर पूरी तरह तबाह हो गया. हैवानियत का नमूना हैं इतिहास की सबसे क्रू अगर जानना चाहते हैं भविष्य तो !! भारतीय ने खोजा था गॉड पार्टिकल का फॉर्म्यूला रतम सभ्यताएं!!
7. चिचेन इत्जा (Chichen Itza): मेक्सिको में बसी चिचेन इत्जा नामक यह इमारत दुनिया में माया सभ्यता के गौरवपूर्ण काल की गाथा गाती है. उस समय के कुशल कारीगरों की मेहनत को यह इमारत अपने आप में संजोयी हुई है. शहर के बीचोबीच कुकुलकन का मंदिर है जो 79 फीट की ऊंचाई तक बना है. इसकी चार दिशाओं में 91 सीढ़ियां हैं. प्रत्येक सीढ़ी साल के एक दिन का प्रतीक है और 365 वां दिन ऊपर बना चबूतरा है.